Unlocking Divine Blessings: Exploring the Benefits of Ashtalakshmi Stotram

samay sarthi

ashtalakshmi stotram
Spread the love

In the mystical realm of spirituality, certain chants and hymns hold immense power, transcending time and space to bestow divine blessings upon those who invoke them with sincerity and devotion. One such sacred hymn that has captured the hearts of millions is the Ashtalakshmi Stotram. Join us on a spiritual journey as we delve into the origins, significance, and profound benefits of chanting the Ashtalakshmi Stotram.

1. The Origins: Unraveling Ancient Wisdom

Embark on a journey through time and tradition as we delve into the ancient origins of the Ashtalakshmi Stotram, a revered hymn attributed to the esteemed sage Adi Shankaracharya. This sacred composition, steeped in the rich tapestry of Hindu mythology, unveils a profound connection to Goddess Lakshmi, the divine embodiment of wealth and prosperity.

Dating back centuries, the Ashtalakshmi Stotram carries with it a legacy of spiritual significance and reverence. As we trace its lineage, we encounter the revered figure of Adi Shankaracharya, a luminous beacon of wisdom and devotion in Hindu philosophy. Believed to have penned this hymn, Shankaracharya’s profound insights into the nature of divinity and the human experience imbue the Ashtalakshmi Stotram with a timeless resonance.

2. The Creator: Adi Shankaracharya’s Divine Inspiration

Learn about the illustrious Adi Shankaracharya, the sage and philosopher credited with composing the Ashtalakshmi Stotram. Explore Shankaracharya’s spiritual journey and the divine inspiration that led him to pen this timeless hymn, invoking the blessings of the eight forms of Goddess Lakshmi.

3. Devotion to Goddess Lakshmi: Embracing Divine Abundance

Dive into the profound devotion and reverence directed towards Goddess Lakshmi, the primary deity honored in the Ashtalakshmi Stotram. This sacred hymn delves into the various forms of Lakshmi, each embodying distinct attributes such as wealth, prosperity, knowledge, and spiritual wisdom. Discover the profound significance attached to each invocation within the stotram, as it intricately weaves a tapestry of divine blessings and cosmic energies associated with the goddess. Explore the spiritual journey that unfolds through the verses, inviting you to embrace the multifaceted blessings bestowed by Goddess Lakshmi in her diverse manifestations.

अथ श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्

आद्य लक्ष्मी
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये,
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि, मंजुल भाषिणी वेदनुते।
पंकजवासिनी देव सुपूजित, सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, आद्य लक्ष्मी परिपालय माम्
।। १ ।।

धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि, दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,
घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम, शंख निनाद सुवाद्यनुते।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित, वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम्
।। २ ।।

विद्यालक्ष्मी 
प्रणत सुरेश्वर भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये,
मणिमय भूषित कर्णविभूषण, शान्ति समावृत हास्यमुखे।
नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्
।। ३ ।।

धान्यलक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनी, वैदिक रूपिणि वेदमये,
क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि, मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते।
मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्
।। ४ ।।

धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्षिणी वैष्णवी भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये,
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद, ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते।
भवभयहारिणी पापविमोचिनी, साधु जनाश्रित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम्
।। ५ ।।

संतानलक्ष्मी
अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि, राग विवर्धिनि ज्ञानमये,
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, सप्तस्वर भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानव वन्दित पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम्
।। ६ ।।

विजयलक्ष्मी 
जय कमलासिनि सद्गति दायिनि, ज्ञान विकासिनी ज्ञानमये,
अनुदिनमर्चित कुन्कुम धूसर, भूषित वसित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शंकरदेशिक मान्यपदे,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, विजयलक्ष्मी परिपालय माम्
।। ७ ।।

गजलक्ष्मी / राज लक्ष्मी 
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये,
रथगज तुरगपदाति समावृत, परिजन मण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, ताप निवारिणी पादयुते,
जय जय हे मधुसूदन कामिनी, गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम्
।। ८ ।।

फ़लशृति-

श्लोक || अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि |
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी ||
श्लोक || शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः |
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम ||

4. Other Stotras by Adi Shankaracharya: A Legacy of Spiritual Wisdom

Discover the vast literary legacy of Adi Shankaracharya, who authored numerous hymns and scriptures dedicated to various deities. Explore other notable stotras composed by Shankaracharya and their significance in the realm of Hindu spirituality.

5. The Ashtalakshmi Stotram: A Divine Composition

Experience the divine vibrations of the Ashtalakshmi Stotram as we present the complete text in its original Sanskrit form. Immerse yourself in the rhythmic cadence of the verses and feel the profound energy they exude, invoking blessings of wealth, prosperity, and spiritual abundance.

6. Benefits of Chanting the Ashtalakshmi Stotram: Unlocking Divine Blessings

Unravel the myriad benefits bestowed upon devotees who chant the Ashtalakshmi Stotram with sincerity and devotion. From attracting material wealth and financial prosperity to fostering inner peace and spiritual growth, discover how this sacred hymn can enrich every aspect of life.

7. Meaning in Hindi: Embracing Cultural Heritage

Illuminate the essence of the Ashtalakshmi Stotram for Hindi-speaking devotees as we provide a detailed translation of the stotram into the rich and melodious language of Hindi. Experience the beauty and depth of the verses as they resonate in the hearts of Hindi-speaking devotees.

श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का हिंदी में शब्दार्थ एवं इसकी व्याख्या

ashtalakshmi stotram

आद्य लक्ष्मी

अर्थ: देवी तुम सभी भले मनुष्यों (सु-मनस) के द्वारा वन्दित, सुंदरी, माधवी (माधव की पत्नी), चन्द्र की बहन, स्वर्ण (सोना) की मूर्त रूप, मुनिगणों से घिरी हुई, मोक्ष देने वाली, मृदु और मधुर शब्द कहने वाली, वेदों के द्वारा प्रशंसित हो।
कमल के पुष्प में निवास करने वाली और सभी देवों के द्वारा पूजित, अपने भक्तों पर सद्गुणों की वर्षा करने वाली, शान्ति से परिपूर्ण और मधुसूदन की प्रिय हे देवी आदि लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : आपने कभी सोचा है कि आप इस दुनिया में कैसे आए हैं ? आपकी उम्र क्या है? 30,40,50 साल? ये 50 साल पहले मैं कहां था? मेरा स्रोत कहां हैं? मेरा मूल क्या हैं? मैं कौन हूँ? -35-40-50 वर्षों के बाद, यह शरीर नहीं रहेगा! मैं कहाँ जाऊँगा? मैं कहाँ से आया हूं? क्या मैं यहाँ आया हूं या हर समय यहां हूं? हमारे मूल का ज्ञान, स्रोत का यह ज्ञान हो जाना ही आदि लक्ष्मी है।तब नारायण बहुत पास ही है। जिस व्यक्ति को स्रोत का ज्ञान हो जाता है, वह सभी भय से मुक्त हो जाता है और संतोष और आनंद प्राप्त करता है। ये आदि लक्ष्मी है। आदि लक्ष्मी केवल ज्ञानीओं के पास होती है और जिनके पास आदिलक्ष्मी हुई समझ लो उनको भी ज्ञान हो गया।


धनलक्ष्मी
अर्थ: धनलक्ष्मी- दुन्दुभी (ढोल) के धिमि-धिमि स्वर से तुम परिपूर्ण हो, घुम-घुम-घुंघुम की ध्वनि करते हुए शंखनाद से तुम्हारी पूजा होती है, वेद, पुराण और इतिहास के द्वारा पूजित देवी तुम भक्तों को वैदिक मार्ग दिखाती हो, मधुसूदन की प्रिय हे देवी विद्या लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो।

व्याख्या : हर कोई धन लक्ष्मी के बारे में जानते ही है। धन की चाह से और अभाव से ही आदमी अधर्म करता है। धन की चाह के कारण कई लोग हिंसा, चोरी, धोखाधड़ी जैसे गलत काम करते हैं मगर जाग के नहीं देखते की मेरे पास है। जोर जबरदस्ती के साथ धन लक्ष्मी आती नहीं है अगर आती भी है तो वो आनंद नहीं देती सिर्फ दुःख ही दुःख देती है। कुछ लोग केवल धन को ही लक्ष्मी मान लेते हैं और धन एकत्रित करना अपना लक्ष्य बना लेते हैं। मरते दम तक पैसा इकट्ठा करो और बैंक में पैसा रखकर मर जाओ। धन को लक्ष्य बनाने वाले दुःखी रह जाते है। कुछ लोग होते है जो धन को दोषी ठहराते है। पैसा नहीं है ये ठीक हैं, पैसा अच्छा नहीं है, पैसे से ये खराब हुआ, ये सभी गलतफहमी है। धन का सम्मान करो, सदुपयोग करो तब धन लक्ष्मी ठहरती हैं। लक्ष्मी की तरह उसकी पूजा करो। कहते है लक्ष्मी बड़ी चंचल होती है यानी वो चलती रहती है। चली तो उसका मूल्य हुआ चलती नहीं है बंद रहती है तो फिर उसका कोई महत्व नहीं है। इसलिए धन का सदुपयोग करो,सम्मान करो।


विद्यालक्ष्मी

अर्थ: विद्यालक्ष्मी- [भक्तों!] सुरेश्वरि को, भारति, भार्गवी, शोक का विनाश करने वाली, रत्नों से शोभित देवी को प्रणाम करो, विद्यालक्ष्मी के कर्ण (कान) मणियों से विभूषित हैं, उनके चेहरे का भाव शांत और मुख पर मुस्कान है।
देवी तुम नव निधि प्रदान करती हो, कलि युग के दोष हरती हो, अपने वरद हस्त से मनचाहा वर देती हो, मधुसूदन की प्रिय हे देवी विद्या लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो।

व्याख्या : यदि आप लक्ष्मी और सरस्वती के चित्र देखते हैं तो आप देखेंगे कि लक्ष्मी को ज्यादातर कमल में पानी के उपर रखा है। पानी अस्थिर है यानी लक्ष्मी भी पानी की तरह चंचल है। विद्या की देवी सरस्वती को एक पत्थर पर स्थिर स्थान पर रखा है। विद्या जब आती है तो जीवन में स्थिरता आती है। विद्या का भी हम दुरुपयोग कर सकते हैं और सिर्फ पढ़ना ही किसीका लक्ष्य हो जाए तब भी वह विद्या लक्ष्मी नहीं बनती। पढ़ना है, फिर जो पढ़ा है उसका उपयोग करना है तब वह विद्या लक्ष्मी है।​


धान्यलक्ष्मी

अर्थ: धान्य लक्ष्मी- हे धान्यलक्ष्मी, तुम प्रभु की प्रिय हो, कलि युग के दोषों का नाश करती हो, तुम वेदों का साक्षात् रूप हो, तुम क्षीरसमुद्र से जन्मी हो, तुम्हारा रूप मंगल करने वाला है, मंत्रो में तुम्हारा निवास है और तुम मन्त्रों से ही पूजित हो।
तुम सभी को मंगल प्रदान करती हो, तुम अम्बुज (कमल) में निवास करती हो, सभी देवगण तुहारे चरणों में आश्रय पाते हैं, मधुसूदन की प्रिय हे देवी धान्य लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : धन लक्ष्मी हो सकती है मगर धान्य लक्ष्मी भी हो यह ज़रूरी नहीं। धन तो है मगर कुछ खा नहीं सकते- रोटी, घी, चावल, नमक, चीनी खा नहीं सकते। इसका मतलब धन लक्ष्मी तो है मगर धान्य लक्ष्मी का अभाव है। गांवों में आप देखें खूब धान्य होता है। वे किसी को भी दो-चार दिन तक खाना खिलाने में संकोच नहीं करते। धन भले ही ना हो पर धान्य होता है। गाँवों में लोग खूब अच्छे से खाते भी है और खिलाते भी है। शहर के लोगों की तुलना में ग्रामीणों द्वारा खाया जाने वाला भोजन गुणवत्ता और मात्रा में श्रेष्ठ है। उनकी पाचन शक्ति भी अच्छी होती है। धान्य का सम्मान करें ये है धान्य लक्ष्मी। दुनिया में भोजन हर व्यक्ति के लिए आव्यशक है। भोजन को बर्बाद नहीं करना या खराब नहीं करना। कई बार भोजन जितना बनता है उसमें आधे से ज्यादा फेंक देते हैं औरों को भी नहीं देते। ये नहीं करना। भोजन का सम्मान करना ही धान्य लक्ष्मी है।


धैर्यलक्ष्मी

अर्थ: धैर्यलक्ष्मी- हे वैष्णवी, तुम विजय का वरदान देती हो, तुमने भार्गव ऋषि की कन्या के रूप में अवतार लिया, तुम मंत्रस्वरुपिणी हो मन्त्रों बसती हो, देवताओं के द्वारा पूजित हे देवी तुम शीघ्र ही पूजा का फल देती हो, तुम ज्ञान में वृद्धि करती हो, शास्त्र तुम्हारा गुणगान करते हैं।
तुम सांसारिक भय को हरने वाली, पापों से मुक्ति देने वाली हो, साधू जन तुम्हारे चरणों में आश्रय पाते हैं, मधुसूदन की प्रिय हे देवी धैर्य लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : घर में सब है, धन है, धान्य है, सब संपन्न है मगर डरपोक है। अक्सर अमीर परिवार के बच्चे बड़े डरपोक होते है। हिम्मत यानी धैर्य एक संपत्ति है। नौकरी में हमेशा ये पाया जाएगा लोग अपने अधिकारियों से डरते है। बिजनेस मेन हो तो इंस्पेक्टरों से डरते रहते है। हम अक्सर अधिकारियों से पूछते हैं कि आप किस प्रकार के सहायक को पसंद करते हैं? – जो आपके सामने डरता है या जो धैर्य से आपके साथ संपर्क करता हैं? जो आपसे डरता है वह आपको कभी सच नहीं बताएगा, झूठी कहानी बता देगा। ऐसे व्यक्ति के साथ आप काम कर ही नहीं पाओगे। आप वहीं सहायक पसंद करते हो जो धैर्य से रहे और ईमानदारी से आपसे बात करे। मगर आप क्यों डरते हो आपके अधिकारियों से? क्यों? क्योंकि हम अपने जीवन से जुड़े नहीं है। हमको ये नहीं पता है की हमारे भीतर ऐसी शक्ति है एक दिव्यशक्ति है जो हमारे साथ हमेशा के लिए है। यह धैर्य लक्ष्मी की कमी हो गई। धैर्य लक्ष्मी होने से ही जीवन में प्रगति हो सकती है नहीं तो नहीं हो सकती। जिस मात्रा में धैर्य लक्ष्मी होती है उस मात्रा में प्रगति होती है। चाहे बिजनेस में हो चाहे नौकरी में हो। धैर्य लक्ष्मी की आवश्यकता होती ही है।


संतानलक्ष्मी

अर्थ: सन्तानलक्ष्मी- गरुड़ तुम्हारा वाहन है, मोह में डालने वाली, चक्र धारण करने वाली, राग (संगीत) से तुम्हारी पूजा होती है, तुम ज्ञानमयी हो, तुम सभी शुभ गुणों का समावेश हो, तुम समस्त लोक का हित करती हो, सप्त स्वरों के गान से तुम प्रशंसित हो।
सभी सुर (देवता), असुर, मुनि और मनुष्य तुम्हारे चरणों की वंदना करते हैं, मधुसूदन की प्रिय हे देवी संतान लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : ऐसे बच्चे हो जो प्यार की पुंजी हो, प्यार का संबंध हो, भाव हो, तब वो संतान लक्ष्मी हुई। जिस संतान से तनाव कम होता है या नहीं होता है वह संतान लक्ष्मी।। जिस संतान से सुख, समृद्धि, शांति होती है वह है संतान लक्ष्मी। और। जिस संतान से झगड़ा, तनाव, परेशानी, दुःख, दर्द, पीड़ा हुआ वह संतान संतान लक्ष्मी नहीं होती।​


विजयलक्ष्मी

अर्थ: विजयलक्ष्मी- कमल के आसन पर विराजित देवी तुम्हारी जय हो, तुम भक्तों के ब्रह्मज्ञान को बढाकर उन्हें सद्गति प्रदान करती हो, तुम मंगलगान के रूप में व्याप्त हो, प्रतिदिन तुम्हारी अर्चना होने से तुम कुंकुम से ढकी हुई हो, मधुर वाद्यों से तुम्हारी पूजा होती है।
तुम्हारे चरणों के वैभव की प्रशंसा आचार्य शंकर और देशिक ने कनकधारा स्तोत्र में की है, मधुसूदन की प्रिय हे देवी विजय लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : कुछ लोगों के पास सब साधन, सुविधाएँ होती है फिर भी किसी भी काम में उनको सफलता नहीं मिलती। सब-कुछ होने के बाद भी किसी भी काम में वो हाथ लगाये वो चौपट हो जाता है, काम होगा ही नहीं, ये विजय लक्ष्मी की कमी है। आप किसी को बाजार में कुछ लेने भेजोगे तो बस उसे नहीं मिलती। रिक्शा करेंगे तो बिगड़ जाएगी। टैक्सी से अगर बाजार पहुँच भी गए तो दुकानें सब बंद मिलती है। आपको लगेगा इससे अच्छा होता में खुद ही जाकर यह काम कर लेता। छोटे से छोटा काम भी नहीं कर पाते है उनमें विजय लक्ष्मी की बहुत भारी कमी है। कुछ न कुछ बहाना बताएँगे या बहाना ना भी हो परिस्थितियाँ ऐसी हो जाएगी उनके सामने। कुछ भी काम में सफलता नहीं मिलती यह विजय लक्ष्मी की कमी है।


गजलक्ष्मी / राज लक्ष्मी

अर्थ: गजलक्ष्मी- हे दुर्गति का नाश करने वाली विष्णु प्रिया, सभी प्रकार के फल (वर) देने वाली, शास्त्रों में निवास करने वाली देवी तुम जय-जयकार हो, तुम रथों, हाथी-घोड़ों और सेनाओं से घिरी हुई हो, सभी लोकों में तुम पूजित हो।
तुम हरि, हर (शिव) और ब्रह्मा के द्वारा पूजित हो, तुम्हारे चरणों में आकर सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं, मधुसूदन की प्रिय हे देवी गज लक्ष्मी! तुम्हारी जय हो, जय हो, तुम मेरा पालन करो

व्याख्या : राज लक्ष्मी कहे चाहे भाग्य लक्ष्मी कहे दोनों एक ही है – सत्ता। कई बार कोई मंत्री उच्चतम पद पर कब्जा करके बैठता है तब कुछ भी बोलता है पर कोई सुननेवाला नहीं होता। उनका हुकूमत कोई नहीं सुनता। ऐसा कार्यालय में भी कई बार होता है। मालिक की बात कोई नहीं सुनता मगर एक क्लर्क की बात सब सुनते है वो अपना हुकूमत चलाएगा। एक ट्रेड यूनियन के प्रमुख के पास जितना राज लक्ष्मी है शायद ही किसी शहरी मिल -मालिक के पास होता है। मिल का तो वो सिर्फ ट्रेड यूनियन प्रमुख है मगर उनके पास राज लक्ष्मी है वो हुकूमत चला सकता है। शासन करने की शक्ति यह है राज लक्ष्मी।

8. Impact on Daily Life: Nurturing Spiritual Growth

Explore the tangible ways in which the recitation of the Ashtalakshmi Stotram can positively impact one’s daily life. From attracting material abundance to fostering harmonious relationships and promoting overall well-being, discover how this divine hymn can elevate every aspect of life.

9. Beneficiaries of the Stotram: Witnessing Divine Grace

Dive into the annals of history and uncover the stories of devotees who have been blessed by the divine grace of the Ashtalakshmi Stotram. From ancient sages and saints to modern-day seekers of truth, witness the transformative power of this sacred chant in the lives of those who have devoutly recited it.

In conclusion, the Ashtalakshmi Stotram stands as a beacon of divine blessings, offering solace, prosperity, and spiritual abundance to all who seek its refuge. Join us on this spiritual odyssey as we unlock the secrets of this timeless hymn and invite its sacred vibrations into our lives.

Leave a comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.